करवाचौथ 2019: चंद्रदर्शन और अर्घ्य देते वक्त इन बातों का रखें ध्यान, ऐसे पूजा कर पाएं अखंड सौभाग्य


पति की दीर्घायु के लिए गुरुवार को करवाचौथ का व्रत रखने वाली सुहागिनें शाम 5 बजकर 50 मिनट से 07 बजकर 06 मिनट तक पूजन कर सकती हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक चतुर्थी तिथि 17 अक्टूबर की सुबह 6:48 पर लग रही है। यह तिथि अगले दिन सुबह 7:29 तक रहेगी। चांद का दीदार रात 8:18 बजे होगा। सिद्धपीठ डाट काली मंदिर के महंत रमन प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि करवाचौथ पर विधि-विधान से पूजा करने से लाभ मिलता है।


व्रती महिलाएं लाल वस्त्र पहनकर शाम को करवाचौथ व्रत की कथा सुनें। इसके  बाद भगवान श्री गणेश, शिव शंकर, मां गौरी की पूजा करें। भगवान गणेश को लड्डू का भोग लगाकर पुष्प अर्पित करें। चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करें। व्रत खोलने के बाद पति और बड़ाें का आशीर्वाद लें। यह बात जरूर ध्यान रखें कि पूजा की थाली में छलनी, आटे का दीया, फल, ड्राईफ्रूट, मिठाई और दो पानी के लोटे होने चाहिए। एक लोटे से चंद्रमा को अर्घ्य दें और दूसरे लोटे के पानी से व्रत खोलें। ध्यान रहे कि पूजा की थाली में माचिस न रखें।जिस सुहाग चुन्नी को ओढ़कर अपने कथा सुनी थी उसी  चुन्नी को ओढ़कर चंद्रमा को अर्घ्य दें।


छलनी में दीया रखकर चंद्रमा को उसमें से देखें, फिर उसी छलनी से तुरंत अपने पति को देखें। पूजा के बाद चांद को देखकर पहले आप अपने पति को पानी पिलाएं। इसके बाद पति के हाथ से पानी पिएं और मिठाई से अपना व्रत पूरा करें। इसके बाद आप बायना(खाना और कपड़े) निलाकर अपने बड़ों को दें और फिर खाना खाएं। इस दिन लहसुन-प्याज वाला और तामसिक खाना न बनाएं। इस दिन गर्भवती महिलाओं को व्रत रखने से बचना चाहिए। यदि महिलाएं व्रत रखती हैं तो वे थोडे़-थोड़े वक्त के अंतराल में पानी पीते रहें।